द गर्ल इन रूम 105–४१
'जी सर, ' मैंने कहा, क्योंकि मेरे ख्याल से वो यही सुनना चाहते थे। 'और इन सब चीज़ों में समय लगता है। किसी क़त्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए कोई एप्प तो होता नहीं है।'
'हां, सर, अभी तक तो ऐसा कोई एप्प नहीं है,' सौरभ ने कहा। बेड़ा गर्क हो, सौरभ तुम्हें ऐसी टिप्पणियां करने की क्या ज़रूरत है? इंस्पेक्टर ने सौरभ की ओर देखा। सौरभ ने नज़रें झुका लीं।
'वो लोग चाहते हैं कि हम किसी को गिरफ्तार कर लें। यदि हम किसी को भी गिरफ्तार नहीं करते हैं, तो हम कामचोर हैं। और यदि हम शक के दायरे में आने वाले सभी लोगों को गिरफ्तार कर लेते हैं तो हमें अत्याचारी कहकर पुकारा जाएगा। ऐसे में हम करें तो क्या करें?"
मैं वास्तव में इस बारे में सोचने लगा था कि अभी यहां पर खड़े होकर चिल्लाने के सिवा इंस्पेक्टर राणा को
किया जाए।'
और क्या करना चाहिए। लेकिन मैंने कहा, 'पता नहीं, सर। शायद बेहतर यही होगा कि न्यूज चैनलों को इग्नोर "मैं तो इग्नोर कर दूंगा, लेकिन नेता लोग नहीं करेंगे। और मेरे सीनियर्स इन्हीं नेताओं को रिपोर्ट करते हैं।"
इंस्पेक्टर राणा का फोन बजा। मैंने सोचा कि हालांकि पुलिस बनने के बाद आपको लोगों की पिटाई करने का मौका मिल जाता है, जो कि मज़ेदार हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद एक पुलिस अफ़सर होना आसान बात नहीं है।
'येस, ओके,' राणा ने फ़ोन पर कहा और चुप हो गए। 'गुड आप श्योर हैं? आपने पूरे फुटेज देखे? वक़्त क्या रहा होगा ? 2:02 मिनट से 2:41 मिनट तक। ओके, गुड। " इंस्पेक्टर हमसे थोड़ी दूर चले गए। उन्होंने फ़ोन पर बतियाते हुए ही कुछ नोट्स लिए और कॉल ख़त्म होने
के बाद हमारे पास चले आए।
"तो, इससे पहले मैं कह रहा था कि मेरी तुम्हारे पिता से बात हुई थी। मैं उनकी इज्जत करता हूं, वे भले आदमी हैं। उन्होंने कभी हमें धमकाने या अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की कोशिश नहीं की।' "जी, सर। वो ऐसा कभी नहीं करेंगे।' खासतौर पर मेरे जैसे नालायक बेटे के लिए, मैं आगे यह जोड़ देना
चाहता था, लेकिन जोड़ा नहीं। 'और उनके यहां आने पर मैं उन्हें एक अच्छी खबर सुनाना चाहता हूं।"
'अच्छी खबर?'
'यही कि इस मामले में शक की सूई पूरी तरह से तुम पर नहीं है।"
शक की पूरी सूई? मैं तो चाहता था कि सूई जैसी कोई चीज़ ही मेरे ऊपर ना हो।
'जी सर,' मैंने कहा। मैं सोच रहा था कि मेरे पैरेंट्स को यहां तक पहुंचने में कितना समय लग जाएगा। "सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि बॉचमैन 2:02 से 2:41 तक अपनी पोस्ट से गायब था।'
"ओह, तो शायद कोई इसी दरमियान हॉस्टल में घुस गया होगा । '
"हो सकता है, लेकिन बात केवल इतनी ही नहीं है,' इंस्पेक्टर राणा ने कहा। उनकी आंखों में चमक थी। 'क्या?' सौरभ ने कहा। ने
'एक महीने पहले ज़ारा लोन की इसी बॉचमैन लक्ष्मण रेड्डी से बहुत बड़ी लड़ाई हुई थी। और उसने सारी लड़कियों के सामने लॉबी में उसे थप्पड़ जड़ दिया था।'
"रियली? क्यों?" 'यह तो मुझे पता नहीं। लेकिन हम पता कर लेंगे।'
"जी सर। बस जिज्ञासा है इसलिए पूछ रहा हूं आपको उस लड़ाई के बारे में किसने बताया?"
इंस्पेक्टर ने अपने नोट्स उठा लिए।
'रुचिका गिल। वह हिमाद्रि हॉस्टल में फोर्थ ईयर स्टूडेंट है। रूम नंबर 109 में रहती है। एक और लड़की,
सुभद्रा पांडे, जो 203 में रहती है। इन दोनों ने यह बताया है। मेरे सब-इंस्पेक्टर ने अभी-अभी उनसे बात की है। मेरी टीम इस केस पर बहुत मेहनत से काम कर रही है। और हम इस मामले की लगभग तह तक पहुंच चुके हैं। लेकिन स्टुपिड मीडिया यह सब नहीं हाईलाइट करेगा।"
मैं चुप रहा। इंस्पेक्टर उठ खड़े हुए।
'बीरेन,' उन्होंने पुकारा। एक कांस्टेबल दौड़ता हुआ आया
"हुजूर, उसने कहा।